Prathana

श्रीराम मुनि वंदना – नमामि भक्त वत्सलं (अरण्यकाण्ड)

Namami Bhakt Vatsalan, Krpalu Sheel Komlan Bhajami Te Padambujan, Akaminan Swadhamdan श्री अत्रि मुनि द्वारा रचित श्रीराम वंदना रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड से संबंधित है। नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥ निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥ प्रलंब बाहु विक्रमं । प्रभोऽप्रमेय […]
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शिव रूद्राष्टकम- नमामी शमीशान निर्वाण रूपं

Shiv Rudrashtakam is a devotional Sanskrit composition on Shiva or Rudra by saint Tulsidas ji. It appears in the Uttara Kanda (after 107) of the Ramcharit Manas. Rudrashtakam consists of eight stanzas of hymns that narrate the many qualities and deeds of Shiva such as the destruction of Tripura, and the annihilation of Kamadeva. Namami […]
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Shri Ram Stuti – Sri Ramachandra Kripalu Bhaja Mana

Shri Ram Stuti – “Shri Ramachandra Kripalu” is a part of ‘Vinaya Patrika’, a devotional poem composed by Goswami Tulsidas ji. Sanskrit/ Hindi श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भव-भय दारुणम् ।नव-कंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणं॥ कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरम् ।पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुता वरम् ॥ भज दीन […]
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माँ सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।  या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥  या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।  सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥ शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।  वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥  हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।  वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥
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प्रातः स्मरण मंत्र !! (Pratha Smaran Mantra)

प्रात: कर-दर्शनम्-कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती ।कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते करदर्शनम ॥१॥ पृथ्वी क्षमा प्रार्थना-समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तनमंड्ले ।विष्णुपत्नि! नमस्तुभ्यं पाद्स्पर्श्म क्षमस्वे ॥२॥ त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण-ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारीभानु: शाशी भूमिसुतो बुधश्च ।गुरुश्च शुक्र: शनि-राहु-केतवःकुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥३॥ सनत्कुमार: सनक: सन्दन:सनात्नोप्याsसुरिपिंलग्लौ च ।सप्त स्वरा: सप्त रसातलनिकुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥४॥ सप्तार्णवा: सप्त कुलाचलाश्चसप्तर्षयो […]
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