प्रभु की माया

एक दिन अचानक कुछ अलग हो गया, 
यमराज का आगमन मेरे घर हो गया,
मेरे स्वर्ग लोक का मार्ग प्रशस्त हो गया,  
ना चाहते हुए भी मैं शव हो गया।

यमराज बोले : आज तेरी कहानी सुनाता हूं,
तेरे अपनों की हकीकत बताता हूँ,
तेरे अपने जिनके लिये, सपने बुनता रहा,
अच्छा बुरा जिनके लिये  करता रहा,
तू दो से चार और छ सात हो गया,
जीवन का राशन कार्ड पूरा हो गया !

सोचा अंतिम क्रियाकर्म तेरे अपनों से हो जायेगा,
वो चार कंधे एवं एक में मटकी ले जायेगा,
घमंड मत कर,  होश आ जायेगा,
थोड़ी देर में शव वाहन आ जायेगा,
लकड़ी महंगी है,  बिजली से जलाया जायेगा,
एक वर्ष का शोक तीन दिन में पूरा हो जायेगा।

मै बोला : प्रभु मुझे पता है, 
आपने मेरी बायोग्राफी एडवांस में लिखी है।
ये बात जीवन में कई बार देखी है,
मैने सोचा मेरे हिसाब से करूंगा,
इस बार मेरे मन की करूंगा,
मैने पर्याप्त प्रयास किया, किन्तु हो नही पाया, 
हुआ वही जो तुमने चाहा।

आपने कहा था, वचन के हिसाब से मेरा हो जा, 
दांए बांए मत देख सिर्फ मुझ में खो जा,
मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा, 
तेरी झोली खुशियों से भर दूंगा।
पर मैने सोचा कुछ अलग कर लूं, 
झोली में कुछ अतरिक्त खुशी भर लूं,
इस चक्कर में उलटा पलटा हो गया,
मै आप से दूर हट कर, आपकी ही माया में खो गया।

- अशोक गुप्ता
 

Ashok Gupta
Sawai Madhopur, Rajasthan

Leave A Comment

Cart

No products in the cart.

Create your account